ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल का हाइपरसोनिक संस्करण अगले दो-तीन साल में तैयार हो जाने की उम्मीद है। हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल मौजूदा ब्रह्मोस से करीब ढाई गुना अधिक रफ्तार से दुश्मन के ठिकाने को ध्वस्त कर सकेगी। वर्तमान ब्रह्मोस ध्वनि की गति से तेज से करीब 290 किमी के दायरे में आने वाले दुश्मन के ठिकाने को तबाह कर देती है। सुपरसोनिक ब्रह्मोस की रफ्तार 3 मैक है। हाईपर सोनिक ब्रह्मोस की स्पीड करीब 7.5 मैक होगी।
क्या है मैक स्पीड
एक मैक का मतलब ध्वनि की गति (343.59 मीटर प्रति सेकेंड) से है। 7 मैक का अर्थ है आवाज की गति से पांच गुना ज्यादा तेज। यानी कि भारत की हाइपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल की रफ्तार ध्वनि की गति से पांच गुना ज्यादा तेज होगी। यानी की यह एक सेकेंड में 1.6 किमी यानी एक मील की दूरी तय करेगी। एक घंटे की 7.5 मैक की रफ्तार से यह 9261 किमी प्रति घंटा की दूरी तय कर लेगी। इसकी खासियत होगी कि इतनी रफ्तार की वजह से यह किसी रडार की पकड़ में नहीं आ सकेगी। साथ ही ना ही इसे किसी इंटरसेप्टर मिसाइल से निशाना बनाया जा सकता है।
रूस और भारत दोनों विकसित कर रहे हैं इंजन
ब्रह्मोस से जुड़े सूत्र बताते हैं भारत और रूस के बीच में हाइपरसोनिक ब्रह्मोस विकसित करने पर सहमति बन गई है। भारत में भी हाइपरसोनिक ब्रह्मोस पर काम चल रहा है और रूस भी मिसाइल के लिए इंजन का विकास कर रहा है। बताते हैं अभी यह निर्णय लिया जाना है कि हाइपरसोनिक ब्रह्मोस में भारत या रूस में से किसका इंजन लगेगा। ब्रह्मोस कॉम्प्लेक्स के प्रवीण पाठक ने भारत और रूस में हाइपरसोनिक ब्रह्मोस का इंजन विकसित किए जाने की पुष्टि की है। हालांकि मैकेनिकल इंजीनियरिंग के मामले में रूस की तकनीक का कोई जवाब नहीं है। ऐसे में उम्मीद है कि इसमें रूसी इंजन को ही वरीयता मिले।