एक दिन पहले सेना में महिलाओं को कमांडिंग ऑफिसर बनाने के बारे में लिखित नोट दाखिल कर उनकी क्षमता पर संदेह जता चुकी केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट में सफाई देते हुए कहा कि उसका मतलब लैंगिक भेदभाव से नहीं था। केंद्र सरकार की ओर से कहा गया कि महिलाओं को पुरुषों की बराबरी करने का प्रयास नहीं करना चाहिए क्योंकि वे पुरुषों से ऊपर हैं। केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की इस बात से सहमति जताते हुए दो सदस्यीय पीठ की अगुआई कर रहे जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि तो फिर इसे लागू करें।
महिलाओं को पुरुषों की बराबरी का प्रयास नहीं करना चाहिए वे उनसे ऊपर हैं