सिर में गोली लगने के बाद भी शहीद रमेश ने मार गिराया एक आतंकी

पटना एयरपोर्ट पर शहीद सीआरपीएफ कांस्टेबल जीडी रमेश रंजन का शव लाया गया। यहां उनका राजकीय सम्मान किया गया।यहां उन्हें सलामी देकर आखिरी विदाई दी गई। शहीद रमेश का शव आज बिहार के आरा जिले में उनके पैतृक आवास पर ले जाया जाएगा। उनकी शहादत को पूरा हिंदुस्तान याद कर रहा है।शहीद रमेश रंजन का आज उनके पैतृक गांव में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।। 


जज़्बे की कहानी


स्कूटी से उतरते ही फिरन पहने आतंकी ने नाके पर तैनात जवान पर फायर कर दिया। गोली सीआरपीएफ की 73वीं वाहिनी के कांस्टेबल रमेश रंजन के सिर में लगी, लेकिन रमेश ने तुरंत राइफल संभाली और जवाबी फायर झोंक दिया। गिरते-गिरते वह एक आतंकी को निशाना बना चुके थे। इसके बाद उनके साथी भी सचेत हो गए और दो आतंकियों को घेर कर ढेर कर दिया गया। वहीं, एक अन्य जख्मी हालत में पकड़ा गया। इस बीच, रमेश रंजन अचेत होकर जमीन पर गिर पड़े। उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां डाक्टरों ने उसे शहीद लाया करार दे दिया।


आइजी सीआरपीएफ रवि दीप साही ने उसे श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जख्मी होने के बावजूद उसने हिम्मत नहीं हारी। उसकी बहादुरी के कारण ही दो आतंकी मारे गए हैं। शहीद रमेश को दोपहर बाद हुमहामा में आयोजित एक भावपूर्ण श्रद्धांजलि समारोह में अंतिम विदाई दी गई। आइजी सीआरपीएफ रविदीप साही समेत सीआरपीएफ के वरिष्ठ अधिकारियों और जम्मू कश्मीर पुलिस महानिदेशक दिलबाग सिंह व अन्य पुलिस अधिकारियों और जवानों ने पुष्पचक्र भेंट कर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इसके बाद तिरंगे में लिपटा शहीद का पार्थिव शरीर पूरे सम्मान के साथ विमान के जरिए दिल्ली ले जाया गया।


आइजी सीआरपीएफ ने शहीद के श्रद्धांजलि समारोह में कहा कि शहीद कांस्टेबल रमेश रंजन ने अपनी जान की परवाह किए बगैर आतंकियों का मुकाबला किया। वह जख्मी होने के बावजूद लड़ा। उसकी बहादुरी और कुर्बानी हम सभी के लिए प्रेरणास्रोत है। उन्होंने बताया कि आतंकी हमले के समय नाके पर एक असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर के नेतृत्व में 13 सीआरपीएफ कर्मी तैनात थे। शहीद रमेश रंजन एक माह बाद 31 साल के होने वाले थे। महानिदेशक सीआरीएफ एपी महेश्वरी ने रमेशरंजन की बहादुरी को सलाम करते हुए कहा कि देश की एकता व अखंडता के लिए अपना सर्वस्व बलिदान करने वाले मैं अपने एक भाई को सलाम करता हूं। इस संकट की घड़ी में हम शहीद के परिजनों के साथ खड़े हैं।